Shatkarma
षट्कर्म योग शास्त्र में उल्लेखित छः शुद्धि प्रक्रियाएं हैं, जिन्हें शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि और संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इन षट्कर्मों का उद्देश्य शरीर की विभिन्न कोशिकाओं और नाड़ियों को शुद्ध करना, अंतःकरण की साफ़ता और ध्यान को बढ़ाना होता है।
अच्छे से पूरी जानकारी देते हैं:
- धौती (Dhauti):
- धौती शरीर की आंतरिक शुद्धि करने की प्रक्रिया है जिसमें जल या दूसरे तत्वों का उपयोग करके आंतों को शुद्ध किया जाता है। यह प्रक्रिया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करती है।
- बस्ती (Basti):
- बस्ती एक प्रकार की शारीरिक प्रक्रिया है जिसमें उपयोग होता है पानी, तेल, या दूसरे तत्वों का उदर और आंतों की शुद्धि के लिए। इससे आंतों की सफाई होती है और पेट के रोगों को दूर किया जा सकता है।
- नेती (Neti):
- नेती एक प्रकार की नाक में पानी का उपयोग करने वाली प्रक्रिया है। इसमें एक लोटा या जलनेति का इस्तेमाल किया जाता है जो नाक की शुद्धि करने और नाक के रोगों को दूर करने में मदद करता है।
- त्राटक (Tratak):
- त्राटक ध्यान की एक विधि है जिसमें किसी चित्र, दीपक, या अन्य वस्तु पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इससे मन को स्थिर किया जाता है और ध्यान की गहराई को बढ़ाने में मदद मिलती है।
- कपालभाति (Kapalabhati):
- कपालभाति एक प्राणायाम प्रक्रिया है जिसमें श्वास को नियंत्रित किया जाता है। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद मिलती है और तनाव को कम किया जा सकता है।
नौली(Nauli):
नौली एक प्राचीन योग प्रणायाम तकनीक है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानी जाती है। यह प्रणायाम तकनीक कई तरह की होती है, जो अंतरिक्ष या गुटों के आंतरिक क्षेत्रों की साफ़-सफ़ाई, मानसिक स्थिरता और तत्व संतुलन को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है।
नौली को तीन प्रकार के होते हैं:
- वाम नौली (Vama Nauli):
- यह तकनीक आंतरिक अंगों की मांसपेशियों को दायाँ और बायाँ तरफ से सीधा करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य गुटों की साफ़-सफ़ाई करना होता है और उन्हें शक्तिशाली बनाना होता है।
- मध्य नौली (Madhya Nauli):
- इस तकनीक में, नाभि के आसपासी आंतरिक क्षेत्रों को दबाया जाता है ताकि उन्हें साफ़ किया जा सके।
- दक्षिण नौली (Dakshin Nauli):
- यह तकनीक आंतरिक अंगों की मांसपेशियों को दाहिनी ओर से सीधा करने के लिए किया जाता है।
नौली का अभ्यास करने के लिए अनुभवी योग अभ्यासक की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस तकनीक को सही ढंग से करने के लिए सामग्री की सहायता की आवश्यकता होती है। नौली का अभ्यास करने से पेट के अंदर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे अन्न संवेदनशीलता बढ़ती है और आंतरिक अंगों की साफ-सफाई होती है। यह ध्यान, प्राणायाम, और आत्मा की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
नौली का अभ्यास करने से पहले, योग शिक्षक या अनुभवी योगी से सलाह लेना बेहद जरूरी है, ताकि सही तकनीक को सीखा जा सके और चोट या किसी अन्य समस्या से बचा जा सके।
नौली एक प्राचीन योग प्रणायाम तकनीक है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानी जाती है। यह प्रणायाम तकनीक कई तरह की होती है, जो अंतरिक्ष या गुटों के आंतरिक क्षेत्रों की साफ़-सफ़ाई, मानसिक स्थिरता और तत्व संतुलन को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है।
नौली को तीन प्रकार के होते हैं:
- वाम नौली (Vama Nauli):
- यह तकनीक आंतरिक अंगों की मांसपेशियों को दायाँ और बायाँ तरफ से सीधा करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य गुटों की साफ़-सफ़ाई करना होता है और उन्हें शक्तिशाली बनाना होता है।
- मध्य नौली (Madhya Nauli):
- इस तकनीक में, नाभि के आसपासी आंतरिक क्षेत्रों को दबाया जाता है ताकि उन्हें साफ़ किया जा सके।
- दक्षिण नौली (Dakshin Nauli):
- यह तकनीक आंतरिक अंगों की मांसपेशियों को दाहिनी ओर से सीधा करने के लिए किया जाता है।
नौली का अभ्यास करने के लिए अनुभवी योग अभ्यासक की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस तकनीक को सही ढंग से करने के लिए सामग्री की सहायता की आवश्यकता होती है। नौली का अभ्यास करने से पेट के अंदर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे अन्न संवेदनशीलता बढ़ती है और आंतरिक अंगों की साफ-सफाई होती है। यह ध्यान, प्राणायाम, और आत्मा की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
नौली का अभ्यास करने से पहले, योग शिक्षक या अनुभवी योगी से सलाह लेना बेहद जरूरी है, ताकि सही तकनीक को सीखा जा सके और चोट या किसी अन्य समस्या से बचा जा सके।
ये प्रक्रियाएँ योग के अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और संतुलित और स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन्हें सही गाइडेंस के साथ किया जाना चाहिए।